‘खट्टे-मीठे से रिश्ते’ नया उपन्यास

स्मृतियाँ – वर्ष 2013 – पहला उपन्यास ‘आतंक के साये में’ – वर्ष 2015 – दूसरा उपन्यास के बाद, नवीनतम…

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छीन लो सारा बचपना…

दो-ढाई साल की बच्ची के साथ जहाँ इस कदर हैवानियत… कहाँ से आती है इतनी दरिंदगी? और इतनी हिम्मत?

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गर्मी बे-इन्तेहा

गर्मी बे-इन्तेहा हर तरफ़ सूरज आग उलग रहा है, पारा चालीस से पार है। कहीं बयालीस, कहीं पैंतालीस-अड़तालीस तो कहीं…

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अब नहीं तोड़ती पत्थर वह…

घर के आँगन में पत्थर लगने का काम होना था। ठेकेदार से मेरी सारी बातचीत हो चुकी थी। तभी गेट…

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कल और आज (लघुकथा)

कल और आज (लघुकथा) कल – सात-आठ बरस की अंजलि उछलती-फुदकती अपने पापा की ऊँगली पकड़े घर की ओर चली…

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ये भी राजकुमार… (लघुकथा)

राजकुमार (लघुकथा)   वो भी तो है एक राजकुमार। अपनी माँ की आँखों का तारा, उसका लाडला, उसका राजकुमार… घर…

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रानी (लघुकथा)

गर्मी की तपती दोपहर। पाउडर-क्रीम, लिपस्टिक, काजल, से भरा भारी सा बैग कंधे पर लटकाए, घर-घर दरवाज़े खटकाती रानी। किसी…

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आतंक से मुक्ति जारी…

अभिनंदन विंगकमांडर! ‘आज रह-रहकर आँखें फिर से छलकी जाती हैं! ये दुःख के नहीं, बहुत सारी ख़ुशी, और गर्व के…

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चुनावी प्रेम

सुना है, कल रोज़ डे पर गुलाब की जगह कमल बांटे गए सुना है, आजकल प्रेम का रंग भी लाल-गुलाबी…

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