हैदराबाद पुलिस– एक चर्चा मेरी नज़र से ————————————————- “बधाई हो, हैदराबाद पुलिस ने तो कमाल कर दिया!” “कमाल? यह असंवैधानिक…
आज बाल दिवस है… बाल मतलब? ज़ाहिर है, बच्चों का दिन! न कि, काले घने, सुनहरे, रुपहले केशों का दिन!…
14 – 18 सितंबरदिल्ली-बेंगलुरु-ऊटी-मैसूर-बेंगलुरु और फिर वापस दिल्ली कुछ अफ़रा तफ़री में ही प्रोग्राम बना, और हम तीन, मैं, ममता…
“कितनी ख़ूबसूरत हो! तुम्हें तो मॉडल बनना चाहिए! बस, जल्दी से एक अच्छी सी तस्वीर खिंचवाकर भेज दो… मेरे अंकल…
दोस्त न रही… (लघुकथा) स्कूल से कॉलेज तक मशहूर रही थी उनकी दोस्ती। जहाँ जातीं साथ जातीं… पढ़ाई भी…
तीसरा उपन्यास, “खट्टे-मीठे से रिश्ते” जून 2019 में प्रकाशित होकर मार्किट में उपलब्ध हो गया है। प्रकाशन के तुरंत बाद…
जागरण सखी के जुलाई अंक में मेरी कहानी… “एक था जंगल… पंचतंत्र से आगे…” विषय है, पर्यावरण संरक्षण इसे मैंने…
हर कहानी के पीछे एक कहानी होती है… जब मैंने 2011 में अपनी अंतिम डाक्यूमेंट्री फ़िल्म (फ़िल्म्स डिवीज़न के लिए…
शब्दों का ये संसार शब्द अहसास हैं, अभिव्यक्ति हैंवही चेतना हैं, और चेतना का संचार भी शब्द विचार हैं… जो लेखनी…