तेज़ाब… (लघुकथा)

अभी एक दिन चित तरंगिणी पत्रिका के फ़ेसबुक पेज पर live आने का अवसर मिला। जहाँ मैंने अपनी एक कहानी…

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तस्वीर…. (लघुकथा)

“कितनी ख़ूबसूरत हो! तुम्हें तो मॉडल बनना चाहिए! बस, जल्दी से एक अच्छी सी तस्वीर खिंचवाकर भेज दो… मेरे अंकल…

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दोस्त न रही…

दोस्त न रही… (लघुकथा)    स्कूल से कॉलेज तक मशहूर रही थी उनकी दोस्ती। जहाँ जातीं साथ जातीं… पढ़ाई भी…

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‘खट्टे-मीठे से रिश्ते” नवीनतम उपन्यास

तीसरा उपन्यास, “खट्टे-मीठे से रिश्ते” जून 2019 में प्रकाशित होकर मार्किट में उपलब्ध हो गया है। प्रकाशन के तुरंत बाद…

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“एक था जंगल” कहानी (जागरण सखी)

जागरण सखी के जुलाई अंक में मेरी कहानी… “एक था जंगल… पंचतंत्र से आगे…” विषय है, पर्यावरण संरक्षण इसे मैंने…

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माँ की स्मृतियाँ

हर कहानी के पीछे एक कहानी होती है… जब मैंने 2011 में अपनी अंतिम डाक्यूमेंट्री फ़िल्म (फ़िल्म्स डिवीज़न के लिए…

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शब्दों की दुनिया

शब्दों का ये संसार शब्द अहसास हैं, अभिव्यक्ति हैंवही चेतना हैं, और चेतना का संचार भी शब्द विचार हैं… जो लेखनी…

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‘खट्टे-मीठे से रिश्ते’ नया उपन्यास

स्मृतियाँ – वर्ष 2013 – पहला उपन्यास ‘आतंक के साये में’ – वर्ष 2015 – दूसरा उपन्यास के बाद, नवीनतम…

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छीन लो सारा बचपना…

दो-ढाई साल की बच्ची के साथ जहाँ इस कदर हैवानियत… कहाँ से आती है इतनी दरिंदगी? और इतनी हिम्मत?

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गर्मी बे-इन्तेहा

गर्मी बे-इन्तेहा हर तरफ़ सूरज आग उलग रहा है, पारा चालीस से पार है। कहीं बयालीस, कहीं पैंतालीस-अड़तालीस तो कहीं…

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