700 किलो मेरवाना (मारिजुआना) – भाँग-गाँजा
700 किलो मेरवाना (या, मारिजुआना?) सोचकर ही मन घबरा जाए!
लेकिन कल रात ही दिल्ली पुलिस ने द्वारका क्षेत्र से एक ट्रक में इतनी ही मात्रा में यह ड्रग बरामद की है।
नशा कोई नयी चीज़ नहीं! न ही मेरवाना... वीड, भाँग, गाँजा, या चरस...
लेकिन नशा करने वालों में एक नया ट्रेंड चला है...
होली में तो सभी भाँग का सेवन करते हैं, फिर आज के युवा वीड लें तो क्या यह दोहरा मापदंड नहीं?
लेकिन मुझे तो नहीं लगता कि हमने बचपन से आज तक कभी शिक्षित और सभ्य समाज को भाँग, चरस का नशा करते देखा हो!
“भंगेड़ी-गंजेड़ियों” को क्या हमने कभी सम्मान की दृष्टि से देखा?
“नहीं”
सभी युवाओं से अनुरोध है कि वे अपने परिवार के बड़ों से यह सवाल पूछकर देखें!
फिर ये बात किसने इन युवाओं के मन में भरी?
ज़ाहिर है, उन्होंने ही जिन्हें नशे में डूबे नौजवानों से फ़ायदा मिले!
वही, जो इस तरह के नशे का व्यापार करते हैं!
और वे जो हमारे युवाओं को नशे की लत में झोंककर पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर देना चाहते हैं!
जो हमारे देश के युवाओं के सामर्थ्य को नशे में ख़त्म कर देना चाहते हैं!
एक और चमत्कारी बात है---
भाँग के नशे को भगवान् शिव से जोड़ दिया जाता है!
सोचकर ही मन हैरान हो जाता है कितना आसान है तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मासूमों को गुमराह करना।
“या तो आप शिव के अस्तित्व को स्वीकारो ही नहीं!
लेकिन अगर इस विचार को मानना ही है तो उसे उसके पूरे अर्थ के साथ स्वीकारो!
भगवान् शिव इंसान नहीं हैं! ईश्वर हैं। वह रचियता हैं, पालक हैं, और संहारक हैं!
संहारक हमारे शरीर के दुर्गुणों के, हमारे भीतर व्याप्त समस्त बुराइयों के।
इसीलिए प्रतीक रूप में समझाया गया कि भाँग, धतूरा जैसे नशीले पदार्थों को शिव पर अर्पित कर दो... यानी अपने भीतर व्याप्त दुर्गुणों को उनपर अर्पित कर दो, वो स्वीकार कर लेते हैं, और हम उन दुर्गुणों से मुक्त हो पाते हैं!
‘वे स्वीकार कर लेते हैं’ का यह अर्थ बिलकुल नहीं कि वे नशा करने लगते हैं!
एक बार फिर स्पष्ट करूँगी... ईश्वर इंसान नहीं!
वह हमारे दुर्गुणों को स्वीकार कर हमें शुद्ध करते हैं! निर्मल और निश्छल बनाते हैं।”
जिसने भी आपको यह समझाया कि भाँग और गाँजा आदि का नशा शिव की पूजा का अंग रहा है, यकीन मानिए, आपको पूरी तरह से बेवकूफ़ बनाने की कोशिश की गयी है...
आपकी आस्था और अनास्था, आपके आधे-अधूरे ज्ञान का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश की गयी है!
उन व्यापारियों से सावधान रहिये, जो नशे की लत की ओर धकेलकर हमारी युवा पीढ़ी को अपंग बनाने की कोशिश कर रहे हैं!
एक बार विचारिये...
क्या ऐसे लोग हमारे युवा टेलेन्ट से डरते हैं?
क्या वे हमारे युवाओं को नशे की गिरफ़्त में फँसाकर हमारे देश की प्रगति को बाधित करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं?
विचारिये, युवाओं! क्योंकि भविष्य में आप हैं, हम हों न हों!
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A critical but creative analysis.