घर के आँगन में पत्थर लगने का काम होना था। ठेकेदार से मेरी सारी बातचीत हो चुकी थी। तभी गेट…
कल और आज (लघुकथा) कल – सात-आठ बरस की अंजलि उछलती-फुदकती अपने पापा की ऊँगली पकड़े घर की ओर चली…
राजकुमार (लघुकथा) वो भी तो है एक राजकुमार। अपनी माँ की आँखों का तारा, उसका लाडला, उसका राजकुमार… घर…
बर्फ़ के गोले नहीं, ये तो गर्मियों में मिले सेमल के उपहार हैं! बचपन में भी बहुत प्यारे लगते थे,…