कुछ किताबें, कॉपी, कुछ पेन और पेंसिलें ही नहीं...
कुछ झिड़कियाँ, कुछ फ़ब्तियाँ... कुछ व्यंग्य और कुछ परिहास भी
कुछ प्यार-स्नेह भी, कुछ घृणा और नफ़रतें भी!
कुछ अनुभव.... मीठे-खट्टे और मिर्ची से तीखे भी
कुछ अनुभव, नीम से कसैले भी...
कुछ अनुभव, वीभत्स-भयावह भी...
सब बन गए ज़िन्दगी के शिक्षक
और, लगता है, निभ ही गया इस वाली ज़िन्दगी का दस्तूर!
कुछ किताबें, कॉपी, कुछ पेन और पेंसिलें ही नहीं...कुछ झिड़कियाँ, कुछ फ़ब्तियाँ... कुछ व्यंग्य और कुछ परिहास भीकुछ...
Posted by Garima Sanjay on Wednesday, September 5, 2018