मनाएँ हिंदी दिवस
अहो, हिंदी!
पहचान के लिए भटकती हो?
अपने ही घर में अपना अस्तित्व खोजती फिरती हो?
अंग्रेज़ी माध्यम से पढ़े बच्चों के बीच अपनी जगह बनाने को प्रयासरत हो?
हौसला रखो, प्रिय मातृभाषा! प्रयास जारी है...
और, ऐसा कोई प्रयास नहीं, जिसे सफलता न मिले!
उन बच्चों का दोष ही क्या, जिनकी उच्च-शिक्षा का आधार अंग्रेज़ी ही है!
सब किताबें अंग्रेज़ी में और सारे शोध अंग्रेज़ी में... वे विषय पर पकड़ बनाएँ, या फिर भाषा में उलझें?
अपनी भाषा में कोई भी विषय सीखना, समझना निश्चित रूप से सबसे अधिक आसान होता है। लेकिन जब पाठ्य सामग्री ही उपलब्ध न हो, तो बच्चे करें ही क्या?
यदि उच्च और तकनीकी शिक्षा में भी अच्छी पाठ्य-सामग्री हिंदी में उपलब्ध कराई जाए तो इस मामले में विद्यार्थियों का फ़ायदा ही होगा।
अभी हाल ही में, टेक्नोलॉजी और भाषा के अद्भुत संगम जैसे एक प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका मिला। इस प्रोजेक्ट पर अधिकतर युवा काम कर रहे थे, जो सबके सब अपने-अपने क्षेत्रों में बेहद कुशल और दक्ष दिखे। टेकी अपनी टेक-भाषा में पारंगत और ग्राफ़िक्स डिज़ाईनर, वीडियो डिवेलपर अपने-अपने क्षेत्रों में दक्ष। कंटेंट वालों को विषय-वस्तु की आश्चर्यजनक रूप से भरपूर जानकारी... इतने प्रतिभा-संपन्न युवाओं को देख आपको खुद पर ही गर्व हो उठे!
लेकिन इन सबके बीच कहीं, हिंदी खोती हुई सी... जिसमें उनका दोष बिलकुल भी नहीं!
हम दोष देते हैं युवाओं को कि वे हिंदी नहीं पढ़ते... लेकिन जब उनकी उच्च शिक्षा हो या तकनीकी शिक्षा, हिंदी में उपलब्ध ही नहीं, ऐसे में वे करते भी क्या?
अपने क्षेत्रों के तो वे सब माहिर हैं, लेकिन कोई भाषा के मामले में केवल बोलचाल तक सीमित रह गया... तो कोई, अंग्रेज़ी में ही पढ़ते-पढ़ते, वहीं तक सिमट गया।
इतने के बावजूद, हम केवल प्रशासन या शिक्षा-प्रणाली को कब तक दोष दे सकते हैं?
कुछ ज़िम्मेदारियाँ तो खुद हमें भी निभानी होगी!
विदेशों में जा बसने वाले बहुत से वतन-प्रेमी भारतीय अपने घरों में बच्चों के साथ हिंदी में ही बात करते हैं, जिससे बच्चों का हिंदी से वास्ता बना रहे। यहाँ, भारत में रहने वाले हम क्या ऐसा ही कुछ प्रयास नहीं कर सकते?
निजी स्तर पर बहुत छोटा सा प्रयास ही काफ़ी बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
क्या हो, यदि हम अपने बच्चों को हिंदी के अख़बार का एक पृष्ठ ही नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें?
या, किसी अच्छी-सी हिंदी पत्रिका के एक-दो पृष्ठ पढ़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें? हिंदी पढ़ने का उनका अभ्यास भी बना रहेगा, और नियमित रूप से पढ़ते रहने से वे नित-नए शब्द सीखेंगे, भाषा पर उनकी पकड़ बढ़ेगी।
फिर, एक दिन क्यों? हरेक दिन मनाएंगे, हिंदी दिवस!