बिंदास बोल
‘स्पष्ट, बिंदास बोलने वाला ये लड़का बहुत आगे जाएगा! इसका आत्मविश्वास और ईमानदारी ही इसे इतना निडर बनाते हैं।’
एमडी के विचार से कंपनी के अधिकतर अधिकारी सहमत थे। करण सचमुच बहुत ही होनहार और मेहनती लड़का था। लेकिन अन्य जूनियर्स की तरह सीनियर्स की जी-हुज़ूरी नहीं करता था। बल्कि बिंदास होकर सही को सही और ग़लत को ग़लत बोलने की हिम्मत रखता था।
जहाँ तमाम सीनियर्स उसके इस स्वभाव को उसकी ईमानदारी मानते, वहीं उसके बॉस, अनंत सर को उसका यह स्वभाव ज़रा भी न भाता। कंपनी के सबसे सीनियर अधिकारी करण की पदोन्नति का प्रयास करते, लेकिन उससे ठीक सीनियर अनंत सर को उसके ये बिंदास बोल पसंद न आते। उन्हें तो पसंद था कि जैसे बाकी सभी जूनियर लड़के-लड़कियाँ उनकी चापलूसी करते हैं, वैसे ही करण भी करे।
करण ने तो चापलूसी नहीं की, लेकिन एमडी सर ने उसकी तारीफ़ करके अनंत सर का दिल कुछ और भी जला दिया।
और बस, इसी के साथ ऑफ़िस की राजनीति और साज़िशों की एक नयी शुरुआत हो गयी। अच्छे असाइंमेंट करण की जगह किसी और जूनियर को दिए जाने लगे। करण की उपलब्धियों को छुपाया जाने लगा, और यहाँ तक कि उसकी उपलब्धियों का श्रेय किसी न किसी अन्य जूनियर को मिलने लगा। और तो और, अनंत सर के विश्वासपात्र कुछ जूनियर्स की एक टीम बन गयी, जो केवल करण को नीचा दिखाने के लिए अनंत सर के मार्गदर्शन में मिलजुलकर बेहतर से बेहतर काम करने लगी, ताकि कंपनी के सीनियर्स को करण की कमी न महसूस हो और करण का महत्व कम हो सके।
इसी क्रम में, उससे उसका सबसे महत्वपूर्ण असाइंमेंट भी उससे छीनकर दूसरे को दे दिया गया। ऑफ़िस में सभी जानते थे, यह प्रोजेक्ट करण को बहुत प्रिय था। उसने उस प्रोजेक्ट की रिसर्च में बहुत मेहनत की थी, और वह जानता था कि इस प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करके वह ऑफ़िस में सभी का प्रिय बन जायेगा।
‘क्या फ़ायदा मिला तुझे अपने बिंदास बोल से? तुझे क्या लगता है, तू बहुत बड़ा हीरो बन गया?’ कैंटीन में नेहा ने करण को अचानक ही झकझोर दिया।
‘तू क्या समझता है, एक बार एमडी ने तेरी तारीफ़ कर दी तो तू बहुत बड़ा तीर मार लेगा? जिस प्रोजेक्ट की रिसर्च के लिए एमडी ने तेरी इतनी तारीफ़ की थी, वही तुझे नहीं मिला! क्या एमडी ने ख़बर भी ली तेरी?’
नेहा के एक-एक शब्द प्रोफ़ेशनल दुनिया की सच्चाई बयाँ कर रहे थे। इस दुनिया में आपकी क़ाबलियत और ईमानदारी जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण है अपने सीनियर्स को खुश रखने की ख़ूबी।
दूसरे दोस्तों ने भी नेहा का ही साथ दिया।
‘नेहा ठीक कह रही है, करण। तेरे ये बिंदास बोल केवल हम दोस्तों तक ही ठीक हैं। सीनियर्स इनसे खुश नहीं रह सकते। और अगर वे खुश नहीं तो तेरी कोई भी हैसियत नहीं।’ अंकित ने समझाया।
बिंदास बोलने वालों में आत्मविश्वास होता है। लेकिन मौके ही न मिलें तो वही आत्मविश्वास चूर होने लगता है। इन दिनों करण का आत्मविश्वास भी चूरचूर हो रहा था, और वह चुपचाप सिर झुकाए अपने दोस्तों से डांट खा रहा था।
‘तू समझता भी है, तेरी नौकरी एक तरह से अनंत सर के हाथों में है... वो जो चाहें कर सकते हैं। नौकरी ही नहीं रहेगी, तो तेरे ये बिंदास बोल किस काम आयेंगे?’ अबकी कुलजीत ने अपनी मीठी ज़ुबान में उसे डपटा।
‘अब बता, तेरा सारा आत्मविश्वास, तेरी सारी क़ाबलियत कहाँ गयी?’ एक बार फिर अंकित के शब्द उसके दिल में तीर की तरह चुभे।
अचानक करण अपनी जगह से उठा, और उसके दोस्त चौंक पड़े।
‘अब कहाँ चला?’ कहीं कोई ग़लत कदम न उठा ले, इस डर से घबराई हुई नेहा ने पूछा, तो बस ‘कुछ अच्छा खाने को ऑर्डर करो, मैं अभी आया’ मुस्कुराते हुए बोला और तेज़ी से बॉस अनंत सर के केबिन की ओर बढ़ गया।
‘मैं अन्दर आ सकता हूँ, सर? प्लीज़?’ करण की आवाज़ पर अनंत सर ने बेरुखी से सिर हिलाया।
‘सर, अगर मुझसे कोई ग़लती हुई है, तो प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिये। आप तो सीनियर हैं, मैं तो अभी आपकी शागिर्दी में थोड़ा-बहुत सीख ही रहा हूँ... ग़लती हो जाए तो प्लीज़ डाँटिए मुझे, लेकिन मेरे असाइंमेंट तो मुझे ही करने दीजिये... आपके ही मार्गदर्शन में मैंने इसकी रिसर्च की थी। आपका हाथ मेरे सिर पर रहा तो यकीन मानिए, प्रोजेक्ट भी बहुत अच्छी तरह से पूरा होगा... विश्वास दिलाता हूँ, कभी भी आपको किसी तरह की शिकायत का मौका नहीं दूँगा...’
कुछ देर बाद जब करण दोस्तों के पास कैंटीन में लौटा तो उसके चेहरे पर एक बार फिर से आत्मविश्वास भरी मुस्कराहट थी।
होनहार लड़का था!
प्रोफ़ेशनल ज़रुरत ने चापलूसी करना भी सिखा दिया।
***
"बिंदास बोल" कहानी का दूसरा भाग
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Sunday Story Time [Sorry, it's a little late today...]बिंदास बोल‘स्पष्ट, बिंदास बोलने वाला ये लड़का बहुत आगे जाएगा!...
Posted by Garima Sanjay on Sunday, May 27, 2018
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