दिव्य कुंभ – भव्य कुंभ 2019
26-29 जनवरी, चार दिन कुंभ की धरती, प्रयाग में गुज़ारे। इनमें से शुरू के तीन दिन का अधिकतर समय कुंभ क्षेत्र में ही बीता। रेलवे स्टेशन पर उतरते ही व्यवस्था, साफ़-सफ़ाई और सुन्दरीकरण देख मन पुलकित होने लगा था। प्लेटफ़ॉर्म से बाहर निकलने के लिए सीढ़ियाँ हटाकर रैम्प बना दिए गए हैं, जिनसे हम बहुत आराम से अपने सामान ख़ुद ही ले जा सकते हैं। रैम्प से ऊपर आते ही, प्रयाग की भौगोलिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक सुन्दरता दर्शाती हुई तमाम चित्रकारी ऐसा मन मोहती हैं, कि यदि सतर्क न हुए तो हो सकता है कहीं के कहीं पहुँच जाएँ... जैसा कि मेरे साथ हुआ! मेरा इंतज़ार प्लेटफ़ॉर्म नंबर 1 पर हो रहा था और मैं पहुँच गई सीधे बाहर, (शायद) गेट नंबर 2 पर! लेकिन कोई परेशानी नहीं हुई, और आसानी से ही स्टेशन के प्रवेश द्वार पर भी पहुँच गई, जहाँ की ख़ूबसूरती और साफ़-सफ़ाई देखते ही बनती है...
यदि आप कभी इलाहाबादी रहे हैं, तो मन बस ख़ुश ही होता रहेगा!
सुबह-सुबह संगम तक का रास्ता मनोहारी तो था ही, रास्ते में जगह-जगह म्यूरल पेंटिंग दिल लुभाती ही रहती हैं! पेड़ों के तनों पर भी ख़ूबसूरत चित्रकारी की गई है। सोच रही थी... इस तरह की चित्रकारी से जहाँ एक ओर ख़ूबसूरती बढ़ती है, वहीं चित्रकारों को भी नए अवसर मिलते हैं... और हो सकता है, कि धीरे-धीरे आम नागरिकों को इस ख़ूबसूरती की कद्र हो, और वे ख़ुद ही साफ़-सफ़ाई रखने के लिए जागरूक हो सकें!
ऐसा इसलिए लिख रही हूँ, क्योंकि प्रयाग विश्वविद्यालय के यूनियन गेट की बाउंड्री और उसके सामने एस एस एल हॉस्टल की पूरी बिल्डिंग पर जहाँ एक ओर बहुत ही ख़ूबसूरत चित्रकारी की गई है, वहीं कुछ लोग उसी जगह को टॉयलेट बनाने में ज़रा भी नहीं हिचकिचा रहे थे।
प्रशासन कितने भी प्रयास कर ले, हमारी भागीदारी के बिना साफ़-सफ़ाई संभव ही नहीं!
ट्रैफ़िक के मामले में महसूस हुआ कि व्यवस्था कुछ ऐसी की गई है, कि पिछले तीन-चार साल से प्रयाग में जहाँ जगह-जगह ट्रैफ़िक जाम हुआ करते थे, वहीं कुंभ के दौरान भी कहीं उस तरह का ट्रैफ़िक जाम नज़र नहीं आया। जिस दिन उत्तर प्रदेश की कैबिनेट को मेला क्षेत्र में आना था, उस दिन के लिए ट्रैफ़िक diversion की जानकारी पहले से ही दे दी गई थी, ताकि आम नागरिकों को परेशानी न हो।
संगम स्नान का पूरा स्थान ख़ाली, खुला छोड़कर सभी अखाड़े और टेंट, आवास आदि की व्यवस्था संगम से थोड़ा अलग हटकर की गई है। जिससे संगम क्षेत्र बहुत ही विस्तृत, खुला और साफ़-सुथरा बना हुआ है। इसी वजह से श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या भी ख़ास पता नहीं चलती। तैयारी में एक परिपक्वता, सूझबूझ नज़र आती है! उम्मीद है, मौनी अमावस्या की भीड़ को भी प्रशासन ऐसी ही तत्परता से संभाल लेगा... संगम तक पहुँचने के लिए नाव तो हमेशा की तरह ही उपलब्ध हैं, लेकिन इस
बार प्रयाग के लिए कुछ नया है... ढेर सारे मोबाइल टॉयलेट, बाथरूम और चेंजिंग रूम।
साफ़-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। वो बात अलग है, कि हम लोग खुद ही सफ़ाई का ध्यान नहीं रखते... किसी जगह कोई पानी की बोतल उठाते दिखा, तो कहीं कोई स्नैक्स के ख़ाली पैकेट्स बंटोर रहा था... ऐसा इसलिए क्योंकि आम जनता को अभी भी सफ़ाई की ज़िम्मेदारी समझने में समय लग रहा है।
और सबसे बड़ी बात... जो हर भारतवासी को ख़ुश कर देगी... विनम्र और मित्रवत पुलिस वाले! आप रास्ता भटक जाएँ, तो आजकल की यूपी पुलिस आपपर गालियाँ नहीं बरसाती, बहुत ही प्रेम और विनम्रता के साथ आपको गाइड करती है!
मैं हमेशा से यही मानती रही हूँ, अगर प्रशासन अच्छा है, तो बहुत सारे लोगों को बदलने की ज़रुरत नहीं होती... उन्हीं पुराने लोगों से बेहतर काम करवाए जा सकते हैं... बशर्ते, आपको काम लेना आता हो!
अरैल की तरफ़ संस्कृति विभाग की ओर से बहुत सी प्रदर्शनियाँ, झाँकियाँ, संग्रहालय और सांस्कृतिक केन्द्रों की कला के प्रदर्शन किये गए हैं... यहाँ कुंभ के इतिहास के संग्रहालय से लेकर हस्तकला और हस्तशिल्प आदि देखने लायक हैं। यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आपका मन मोह लेते हैं।
नियमित अखाड़ों की सुंदरता हमेशा कैसी रहती रही होगी, मुझे अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन इस बार अधिकतर अखाड़े, पंडाल वगैरह बहुत ही सुन्दर बने हैं। इनमें स्वामी शरणानन्द का गुरु कार्ष्णि कुंभ मेला आश्रम, बहुत ही भव्य और विशाल है! श्री कृष्ण-गोपिकाओं, गायों आदि की आदमकद मूर्तियाँ, चारों ओर रंग-बिरंगे फव्वारे, शिव जी की विशाल प्रतिमा, और उनके शीश से बहती गंगा, विशाल, आकर्षक शिवलिंग, आश्रम के लोगों के लिए फूस की कुटिया... मानो अब भी आँखों के सामने आ जाती हैं!
जगह-जगह सेल्फी पॉइंट भी बने हैं... श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के मॉडल के साथ मैंने भी सेल्फी लेने की नाकाम कोशिश की (इस काम में मैं बिलकुल भी अच्छी नहीं)!
अन्न-दान वाले क्षेत्रों में भी व्यवस्था नज़र आ रही है, लोग लाइन लगाकर अपना नंबर आने का इंतज़ार करते दिखाई देते हैं... कोई धक्का-मुक्की नहीं होती दिखाई दी!
कुंभ क्षेत्र से आगे बढ़ने पर साफ़-सफ़ाई, सड़कों को चौड़ा करने की कोशिशें, और भी अधिक नज़र आईं। हाँलाकि, ज़ाहिर ही है कि पूरे शहर को ठीक करने में अभी प्रशासन को समय चाहिए होगा, और शहरवासियों को यदि अपने शहर को सुन्दर, व्यवस्थित देखना है तो कुछ संयम बरतना ही होगा।
हमारे स्कूल के बगल में स्थित महर्षि भारद्वाज आश्रम की भव्यता और भी बढ़ा दी गई है। आश्रम के गेट के बगल में महर्षि की विशाल कांस्य प्रतिमा बरबस ही मन को आकर्षित कर लेती है। बालसन के चौराहे को थोड़ा अधिक बड़ा करके उसमें नए पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं... जो एक अच्छा प्रयास है... क्योंकि इन सारे सुन्दरीकरण के दौरान पेड़ों की कटाई भी हुई होगी।
मेडिकल कॉलेज से जीआईसी की ओर आगे बढ़ने पर पिछले कई साल से लोग रामबाग रेलवे लाइन पर होने वाले ट्रैफ़िक जाम से परेशान होते थे... वहाँ पिछले कई वर्ष से फ्लाईओवर बनना तय था, लेकिन बना नहीं था। आज ये ऊँचा सा फ्लाईओवर बनकर तैयार हो चुका है, जिससे उस साइड की ट्रैफ़िक की समस्या का समाधान हो गया है। हाई कोर्ट के सामने भी एक और फ्लाईओवर बनकर तैयार हो चुका है, जो (शायद) सिविल लाइन्स क्षेत्र को राजरूपपुर से जोड़ता है। हाई कोर्ट से स्टेशन की ओर जाने वाले पुराने फ्लाईओवर को भी बढ़ा दिया गया है, और अब वहाँ आने-जाने के लिए दो फ्लाईओवर हो गए हैं, जिससे यहाँ भी ट्रैफ़िक की समस्या का समाधान हो गया है।
कुंभ क्षेत्र और बाकी शहर में घूमने के दौरान कुल मिलाकर मेरे मन में यही आ रहा था, कि इस वर्ष के कुंभ की तैयारी को हम अगले महाकुंभ की पूर्व-झलकी मान सकते हैं। इस बार इतने कम समय में ऐसी ख़ूबसूरत और सुनियोजित तैयारी की गई है, तो अगली बार समय मिल जाने पर इस तैयारी की भव्यता कैसी होगी! बस कल्पना ही की जा सकती है।