कटी-फटी तस्वीरों के टुकड़ों सी ज़िन्दगी
टुकड़ों में ही बँटी रह गयी।
हर टुकड़े में तार-तार सी...
हर टुकड़े में कुछ आधी-कुछ अधूरी सी।
कितनी सहेजी, कितनी बँटोरी, कितनी बार जोड़ने की कोशिश की
पर खोये हुए टुकड़े कहाँ से लाती?
बीते लम्हे, बीते दिन
जो गुज़र गए, जो बिसर गए, जो बिछड़ गए
उन्हें कहाँ से फिर पाती
आधी-अधूरी तस्वीर सी ज़िन्दगी
अब बस टुकड़ों में ही बँटी रह गयी!
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कटी-फटी तस्वीरों के टुकड़ों सी ज़िन्दगीटुकड़ों में ही बँटी रह गयी।हर टुकड़े में तार-तार सी...हर टुकड़े में कुछ आधी-कुछ...
Posted by Garima Sanjay on Thursday, April 26, 2018