ब्लैक-बक (काले हिरण) को मारने के आरोप में आज जोधपुर न्यायालय ने सलमान खान को दोषी करार दिया। लेकिन उनके अन्य साथियों- सैफ़, तब्बू, नीलम आदि को संदेह की स्थिति में बरी कर दिया।
अब क्या होगा?
सलमान खान तो वास्तव में बहुत ही अधिक लोकप्रिय कलाकार हैं। उनके प्रशंसकों की संख्या शायद अनंत होगी! भाई के प्रशंसक बहुत नाराज़ होंगे। अगर वे सब निर्दोष तो भाई कैसे दोषी? वगैरह-वगैरह…
वैसे, ब्लैक बक का क्या?
वह तो वैसे भी लुप्तप्राय प्रजाति था (endangered species)
भाई ने तो उसे पूरी तरह से लुप्त होने में मदद ही की।
हिरण का क्या? यों भी ये सब जानवर धरती पर बोझ होते हैं…
भाई न मारते तो कोई शेर-चीता या भेड़िया ही उसे खा जाता।
फिर, एक जानवर के लिए इतने बड़े इंसान को सज़ा देना कहाँ तक ठीक है?
आखिर, मनुष्य का दर्जा बड़ा है या किसी “काले-हिरण” का?
ऐसी बातों से क्रोध तो बहुत आता है। लेकिन एक सच यह ज़रूर है कि एक समय में घर-परिवारों में बच्चों को सिखाया ही नहीं जाता था कि पशु-पक्षियों की कद्र करो। वे भी प्राणी हैं… हमारे पर्यावरण के लिए उतने ही ज़रूरी हैं, जितने कि हम मनुष्य।
गली के कुत्तों को पत्थर मारना, यहाँ तक कि उनकी पूँछ में पटाखे बाँधने तक के खेल बच्चे खेलते थे, और माता-पिता रोकते नहीं थे!
अब लोगों में बहुत बदलाव आ रहा है… विशेष रूप से बच्चों और युवाओं में पशु-पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
मेरे आसपास बहुत से लोग सलमान खान के बहुत बड़े वाले ‘पंखे’ हैं… जानती हूँ, आज उन्हें बहुत अधिक दर्द होगा!
लेकिन… ये समर्थक केवल यह सोचें कि क्या काले हिरण का शिकार करके उनके भाई ने सही किया?
यदि ग़लत किया तो क्या उसे सज़ा नहीं मिलनी चाहिए?
जैसे ही आप सेलिब्रिटी के दर्जे पर पहुँचते हैं, समाज के बहुत से अंग आपका अंधानुसरण करने लगते हैं।
ऐसे में यदि उन्हें सज़ा नहीं मिलती, तो न जाने कितने और लोग भी पशु-पक्षियों की ओर ऐसे ही लापरवाही का रवैया अपनाना शुरू कर देंगे।
हम कैसे भूल सकते हैं कि ये सारे छोटे-बड़े जीव-जंतु भी हमारे पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में बहुत बड़ा योगदान करते हैं। उनका संरक्षण ही पर्यावरण का संरक्षण है और पर्यावरण का संरक्षण खुद हमारे लिए ही बहुत अधिक हितकर है।