केरल में हथिनी की हत्या पर लीपापोती करते प्रशासन के प्रयास…
केरल प्रशासन – हे माधव, यह सोचकर ही हमारे हाथ-पैर शिथिल हो रहे हैं कि हम पर गर्भवती हथिनी की हत्या का आरोप है। हम तो समस्त जगत के पशु पक्षियों के मोह पाश में ऐसे बंधे है, कि ऐसा सोच भी नहीं सकते!
देखिए न, बंगाल में भी ऐसा हुआ, हिमाचल में भी… पहले महाराष्ट्र में भी तो ऐसा हुआ था! पूरे देश में,बल्कि पूरे विश्व में ऐसा हो रहा है… कहीं जंगल जलाए गए, कहीं काटे जाते हैं, कभी किसी शेर को मारा, कभी बाघिन को… बल्कि हमने तो अभी-अभी एक शेर को बचाकर दिखाया है… अभी भी आपको हमारा पशु प्रेम नज़र नहीं आ रहा?
श्री कृष्ण – गोविंद – माधव प्रकाश जाड़वेकर – तुम व्यर्थ चिंता करते हो, पार्थ! ये सब जीव जंतु, पेड़ पौधे, वन वृक्ष… सब अमर हैं। तुम निश्चिंत होकर सबका वध करो। इन सबको मुझमें ही समाहित होना है। कलियुग के कौरव यही हैं।
सारे मनुष्य रूपी पांडवों को इनका वध करने का अधिकार है। तुम नहीं करोगे,तो मैं इनका वध कर दूंगा। आख़िर इन सबका वध करके ही तो इंसानों को चौड़ी सड़कें, बड़े बड़े पुल, उद्योग, माॅल, बुलेट ट्रेन वगैरह बनानी है।
तुम तो बस अपने कर्म करो… कर्मण्येवाधिकारस्ते…
मत सोचो, कि यह काम तुम कर रहे हो। सबकुछ मुझे समर्पित करके आगे बढ़ो पार्थ! पर्यावरण की चिंता मत करो।
पर्यावरण बचाने की बकवास करने वाले इंसान नादान हैं। सत्य से विमुख हैं… हमें ध्यान रखना है, अपने उन भक्तों का जिन्हें केवल चौड़ी सड़कें और कंक्रीट के जंगल चाहिए… शेष सबकुछ मोह माया है, पार्थ!
पर्यावरण तो तुच्छ वस्तु है, पार्थ! मैं टेक्नोलॉजी से तुम्हारे लिए नया पर्यावरण बना दूंगा।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…
अब किसी मनुष्य को धर्म की ग्लानि होने की कोई चिंता नहीं करनी है।
विरोध केवल राजनीतिक सत्ता के लिए है… और वह सदा होता रहेगा!
विरोध तो बाहरी है… भीतर से तो सब एक ही हैं – एक परमात्मा की संतान!
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